Success Story of Wright Brothers In Hindi


हेलो दोस्तों मंजिले उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती थी इस बात को 1 नहीं बल्कि बहुत से लोगों ने अपने मेहनत और लगन से साबित करके दिखाया हे.

तो आज हम इसी तरह के दो भाई की बात करने वाले हे .
जिनकी वजह से हमारा आज का मॉडर्न जमाना बहुत आराम से एक जगह से दूसरी जगहों पर बहुत तेजी के साथ सफ़र कर पाते हे .

जी हा शायद अब आप सब लोगो को समज में आ गया होंगा की में किसकी बात कर रहा हु .
में बात कर रहा हु wright brothers की.

जिनका हमारे आज के जिन्दगी को आसन बनाने के पीछे सबसे बड़ा हाथ हे.

तो चलिए आज के एस आर्टिकल में हम जानते हे .

उनके जीवन के बारे में कुछ बाते.

जो शायद उसमेसे कुछ आपको पता होंगी पर मेरा ये दावा हे ककी कुछ बाते एसी होंगी जो आपको पता नहीं होंगी .


कहानी Wright brothers की .
कहानी Wright brothers की 


तो चलिए शुरू करते हे.
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     तो दोस्तों राइट brothers का जन्म हुआ.इस कहानी की शुरुवात होती हे 1867 में जब 1871  में Orville Wright  और 1867 में Wilbur  Wright  का जन्म हुआ .

आपको बता दे उनके पिताजी का नाम Milton Wright था .जो एक पादरी थे .

जेसे की आपको हमने बताया की हम कुछ एसी बाते करेंगे Wright brothers के बारे में जो शायद आपको पता नहीं होंगी .

तो हम आपको बताते हे कुछ बाते.

राईट brothers का बचपन

इन दोनों भाई का स्वभाव बचपन से ही कुछ अलग था .
मतलब एक दुसरे से अलग था .

जेसे बड़े भाई Wilbur Wright  को बचपन से पढाई में इंटरेस्ट था.
और वो एकदम शांत स्वाभाव के थे .

तो दूसरी और छोटे भाई Orvile Wright बचपन से हे बड़े नटखट स्वाभाव के थे . इसी के कारन उनको कई बार टीचर्स बचपन में क्लास से भी बहार निकाल देते थे .और उनको घर पर भी डाट पड़ती थी .

जीवन का एक किस्सा

एसेमे हम आपको उनके जीवन का एक किस्सा बताते हे .

बचपन में Wright brothers के पिताजीने उन दोनों के लिए 1871 में उन्हों एक toy हेलीकाप्टर 
लाकर दिया .

कहानी Wright brothers की .

ये वो पहला मोका था जब उन दोनों ने कुछ एसा खिलौना देखा था. वो उनको काफी अच्छा लगा पर उस खिलोने को शाम तक खेलनेके बाद ही वो टूट गया .


पर उनको ये इतना अच्छा लगा था.की उन दोनों ने ही इसे फिर से बनाने की कोशिश करने लगे .
और फिर क्या था कुछ दिन मेहनत करने के बाद वो वो खिलौना बनाने में कामयाब भी हो गए .

तो फिर शायद वो यही मोका था. जब उनके मन में भी कोई एसी चीज बनाने की आईडिया आई होंन्गी.

जो किसी इन्सान को लेकर उड़ सकेंगे.फिर इसके बाद Olivar राईटने ने स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक हाई स्कूल में एडमिशन लिया.

पर वह हाई स्कूल में ज्यादा दिन तक पढ़ाई नहीं कर सके क्योंकि उस समय उनके मन में प्रिंटिंग 
बिजनेस के बारे में आईडिया चल रहे थे .

तो उन्होंने प्रिंटिंग बिजनेस मैं अपना हाथ आजमाने के लिए हाई स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी.

Wilbur राईट के साथ हुई दुर्घटन

दूसरी तरफ दूसरी तरफ छोटे भाई यानी कि wilbur राईट एक दिन आइस हॉकी खेल रहे थे. तब 
उस समय उनके साथ एक दुर्घटना घटी है और इसमें उनको काफी गंभीर चोटों का सामना करना 
पड़ा.

इस दुर्घटना की वजह से उनके शरीर पर काफी गंभीर असर पड़ा और साथ ही साथ उनके मेंटल

कंडीशन यानी उनके मानसिक अवस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ा.

तो इसीलिए वह भी अपने भाई के साथ प्रिंटिंग बिजनेस में उनकी मदद करने लगे और 1886 वेस्टसाइड न्यूज़ के नाम से एक न्यूज़पेपर करने का निर्णय लिया फिर कुछ दिनों तक उनका ये बिजनेस ठीक-ठाक चला.

पर आगे चलकर उनको एक बिजनेस में ज्यादा प्रॉफिट न होने के कारण उन्होंने इसे switch कर दिया.

फिर उन्होंने ज्यादातर कमर्शियल प्रिंटिंग पर फोकस करने लगे पर यह बिजनेस कुछ दिन करने के
बाद उन्होंने यह पाया की इसमें भी उनको ज्यादा प्रॉफिट नहीं हो रहा था. इसीलिए आखिरकार उन्होंने बिजनेस को बंद करने का निर्णय ले लिया.


कहानी Wright brothers की .
Wright brothers Story


राईट brothers का दूसरा business

और फिर इसके बाद उन दोनों भाइयों ने साइकिल बनाने और बेचने का एक छोटा सा दुकान चालू किया. ये बिजनेस ठीक-ठाक चला.

बचपन का सपना

फिर जब दोनों भाइयों के पास कुछ पैसे आने लगे तो उन्होंने अपने बचपन के सपने के बारे में सोचा को पूरा करने के लिए विचार करने लगे.

आपको बता दूं कि बड़े भाई Olivar Wright एक जर्मन साइंटिस्ट Auto Le Liya से काफी प्रभावित थे.

क्योंकि उन्होंने पहले ही काफी सारी सफल फ्लाइट को अंजाम दिया था पर 1807 में  में एक फ्लाइट को अंजाम दी वक्त एक दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई.

और उनकी मृत्यु के बाद दोनों भाइयों ने ये ये confirmed कीया की वो लोगो के अच्छे और सुरक्षित सफ़र के लिए एक हवाई यात्रा का जरिया खोजेंगे .

और अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए दोनों भाइयों ने अलग-अलग aeronautics वैज्ञानिकों की रिसर्च को पढ़ना शुरू किया .

और फिर बहुत दिनों तक अच्छे से पढ़ने के बाद उन्होंने और 1900 और 1906  के बीच करीब की कुल ३  राइडर्स बनाए.

उन्होंने जो पहला राइडर् बनाया था वो एक आदमी को ले जाने की क्षमता रखता था.पर वो सफल नहीं हो सका .

फिर उन्होंने दो राइडर बनाएं. जो पहले से काफी एडवांस थे. और कुछ सालों की मेहनत करके और कई सारे टेस्ट करने के बाद आखिरकार दिसंबर 1930  में उन्होंने एक सफल प्लेन बनाया.

और फिर राइट ब्रदर्स की बनायीं मशीनें ने कुल 68 सेकंड की सबसे लंबी उड़ान भरी और फिर उसी दिन इतिहास रचा गया .

और इस दौरान प्लेन में प्लेन में 852 मीटर की ऊंचाई भी पार की थी. वह फिर और अच्छी तरह से मेहनत करने के बाद और उस प्लेन को और भी सिक्योर करने के बाद मतलब उसमें कुछ एडवांसमेंट करने के बाद उन्होंने इस प्लेन को अमेरिकन गवर्नमेंट को
$30000 में बेच दिया.

और फिर देखते ही देखते पूरे यूरोप में उनकी इस प्लेन के बारे में चर्चाए पसरने लगी और उसे ही देखते हुए बहुत से लोगों ने उनको प्लेन के लिए ऑफर करने लगे.

तो इसी बात को ध्यान में रखते हुए दोनों भाइयों ने आगे चलकर एक कंपनी बनायीं जिसमें वह अपने खुद के प्लेन बनाया करते थे. जिसमें कि बड़े भाई प्रेसिडेंट बनी और छोटे भाई vice प्रेसिडेंट बने .

Oliver Wright की मृत्यु

1912 में Oliver Wright को टाइफाइड होने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई. और यह टाइम छोटे भाई के लिए बहुत ही कठिन था.

क्योंकि उनके भाई बचपन से ही उनके साथ थे और वह आप अचानक चले. इसीलिए उनके छोटे भाई wilbar गए कुछ दिन तक सदमे में चले गए थे.

और फिर कुछ दिन कंपनी चलाने के बाद उन्होंने अपनी कंपनी को 1915 में बेच दिया और फिर उन्होंने  aeronautics committee मे काम किया .

Wilbur की मृत्यु

इन दोनों भाइयों ने अपनी पूरी जिंदगी में सफलता के इतने सारे झंडे गाड़ दिए. इसके बाद फिर उनके छोटे भाई को आखिर में 1484 में हार्ट अटैक के कारण उनकी भी आखिरकार मृत्यु हो गई.

पर जब तक उन दोनों भाइयों ने इस दुनिया को अलविदा कहा तब तक उन्होंने हम सब इंसानों के लिए ऐसा करके चले गए जिसके कारण उनको जब तक धरती पर इंसान का अस्तित्व रहेगा.

तब तक उनका नाम भी रहेगा क्योकि उन्हीं की वजह से आज हमारा जीवन इतना सुखद और हमारा ट्रैवल इतना आसान होता है. वरना क्या होता अगर आपको इंडिया से अफ्रीका जाना है.

और प्लेन नहीं होते तो आपको जहाजो से जाना पड़ता. इसके बारे में आप जरा सोच कर देखिए.


आखरी शब्द

इसीलिए मेरा कहना है साइंटिस्ट थे वही हमारे जीवन के असली भगवन हे . तो दोस्तों आपको हमारी आज की पोस्ट केसी लगी हमें जरुर कमेंट में बताईये और अगर आपको भी इसी तरह के और भी 

पोस्ट चाहिए तो आप हमें बता सकते हे. हम आपके लिए एसे आर्टिकल जरुर लेकर आयेंगे .

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